मंत्र:
"कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।
प्रणत: क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः॥"
इस मंत्र का हिंदी में संपूर्ण अर्थ:
"श्रीकृष्ण वासुदेव के पुत्र हैं, वे भगवान हरि हैं, जो परमात्मा स्वरूप हैं।
जो भी भक्त उनकी शरण में जाता है, उनके सभी दुःख और क्लेश नष्ट हो जाते हैं।
ऐसे गोविंद भगवान को मैं बारंबार नमस्कार करता हूँ।"
शब्दार्थ:
- कृष्णाय – श्रीकृष्ण को
- वासुदेवाय – वासुदेव (पिता) के पुत्र को
- हरये – हरि (दुःखों को हरने वाले) को
- परमात्मने – परमात्मा को
- प्रणत: – शरणागत
- क्लेशनाशाय – क्लेश (दुःखों) को नष्ट करने वाले को
- गोविंदाय – गोविंद (गोप-पालक भगवान) को
- नमो नमः – बार-बार नमस्कार
यह मंत्र भगवान श्रीकृष्ण की शरण में जाने और उनके द्वारा हमारे सभी दुःखों के नाश की भावना से भरा हुआ है।
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