यह रहा श्री वल्लभाचार्य जी द्वारा रचित पूरा मधुराष्टकम् (Madhurashtakam) – संस्कृत श्लोक, लिप्यांतरण और सरल हिंदी अर्थ सहित:
🌸 मधुराष्टकम् 🌸
(श्री वल्लभाचार्य कृत)
1.
अधरं मधुरं वदनं मधुरं
नयनं मधुरं हासितं मधुरम्।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
अर्थ:
भगवान का अधर, मुख, नेत्र, हँसी, हृदय और उनका चलना – सब मधुर हैं। मधुरता के स्वामी का सब कुछ मधुर है।
2.
वचनं मधुरं चरितं मधुरं
वसनं मधुरं वलितं मधुरम्।
चलितं मधुरं ब्रजितं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
अर्थ:
उनकी वाणी, उनके चरित्र, उनके वस्त्र, उनकी चितवन, उनकी चाल और ब्रज में विचरण – सब कुछ मधुर हैं।
3.
वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः
पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ।
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
अर्थ:
उनकी बाँसुरी, उनके चरणों की धूल, उनके हाथ, उनके चरण, उनका नृत्य और उनकी मित्रता – सब मधुर हैं।
4.
गीतं मधुरं पीतं मधुरं
भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरम्।
रूपं मधुरं तिलकं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
अर्थ:
उनका गायन, उनका पेय, उनका भोजन, उनकी निद्रा, उनका रूप, तिलक – सब मधुर हैं।
5.
करणं मधुरं तरणं मधुरं
हरणं मधुरं रमणं मधुरम्।
वमितं मधुरं शमितं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
अर्थ:
उनके कर्म, तरण (पार ले जाना), चुराना, रमण (संगति), उनका उलटना, और शांत करना – सब कुछ मधुर है।
6.
गुञ्जा मधुरा माला मधुरा
यमुना मधुरा वीची मधुरा।
सलिलं मधुरं कमलं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
अर्थ:
उनकी गुञ्जा-माला, यमुना नदी, उसकी लहरें, उसका जल और कमल – सब मधुर हैं।
7.
गोप्यः मधुराः लीला मधुरा
युक्तं मधुरं भुक्तं मधुरम्।
दृष्टं मधुरं सृष्टं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
अर्थ:
गोपियाँ, उनकी लीलाएँ, उनका योग, उनका भोग, उनका दर्शन और उनकी सृष्टि – सब कुछ मधुर है।
8.
गोपा मधुरा गावो मधुरा
यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा।
दलितं मधुरं फलितं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
अर्थ:
गोप, गौएँ, उनकी बांसुरी, उनकी सृष्टि, उनका दमन और फल देना – सब कुछ मधुर હે
No comments:
Post a Comment